भावना योग से जुड़े सवाल और जवाब

FAQ

भावना योग स्वास्थ्य के लिए बेहद ही लाभदायक माना जाता है। जब आप भावना योग करते हैं तो इससे आपको तनाव को कम करने में मदद मिलती है, जिससे आपको एक मानसिक शांति मिलती है। इतना ही नहीं, जब आप नियमित रूप से भावना योग करते हैं तो इससे आपके मन-मस्तिष्क पर कण्ट्रोल होता है। भावना योग के जरिए ना सिर्फ आपको शारीरिक बल्कि मानसिक लाभ भी मिलते हैं। जब आपके भीतर सकारात्मकता बढ़ती है तो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता भी बेहतर होती है। साथ ही आप खुद को अधिक उर्जावान महसूस करते हैं।

भावना योग की बात है, वह ध्यान नहीं है। वह एक अलग साधना, एक अभ्यास, एक ऐसा योग जिसके बल पर हम अपनी आत्मा का निर्मलीकरण कर सके, अपनी चेतना की विशुद्धि बढ़ा सकें। वर्तमान में एक सिद्धांत विकसित हुआ ‘ला ऑफ अट्रैक्शन’ हमारे विचार साकार होते हैं, हम जैसा सोचते हैं जैसा बोलते हैं जैसी क्रिया करते हैं संस्कार हमारे सबकॉन्शियस में पड़ जाते हैं । 

भावना योग स्वास्थ्य के लिए बेहद ही लाभदायक माना जाता है। जब आप भावना योग करते हैं तो इससे आपको तनाव को कम करने में मदद मिलती है, जिससे आपको एक मानसिक शांति मिलती है। भावना योग कोई भी कर सकता है यह किसी धर्म से नहीं जुड़ा अपितु कोई भी इसे अपने जीवन मैं उतर कर अपना जीवन सुखी और समृद्ध बना सकता है

भावना योग करने मैं कोई फिक्स समय नहीं है आप जितने समय करना चाहते हैं कर सकते हैं, अगर आप व्यस्त हैं तो अपने डेली जीवन मैं ५ मिनट्स मैं भी इसे कर सकते हैं | भावना योग के जरिए ना सिर्फ आपको शारीरिक बल्कि मानसिक लाभ भी मिलते हैं। जब आपके भीतर सकारात्मकता बढ़ती है तो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता भी बेहतर होती है। साथ ही आप खुद को अधिक उर्जावान महसूस करते हैं।

भावना योग के लिए एक ऐसा नीरव एवं शांत स्थान ढूँढे जहाँ आप अलग से बैठकर निर्बाधित रूप से इसे कर सकें। अपने लिए एक ऐसा पवित्र स्थान बनाएं जो मात्र आपके भावना योग के अभ्यास के लिए ही हो। आप बिना हत्थे की एक कुर्सी पर बैठें या ज़मीन पर — ऊनी कम्बल या सिल्क का आसन बिछा कर पालथी मारकर बैठें। यह आपकी चेतना के प्रवाह को नीचे की ओर खींचने वाले धरती के सूक्षम प्रवाहों को अवरुद्ध करता है।

प्रभावपूर्ण भावना योग करने के लिए आसन मैं मेरुदंड सीधा होना चाहिए। जब आप अपने मन और प्राणशक्ति को मेरुदंड में चक्रों से होते हुए उधर्व चेतना की ओर भेजने के लिए प्रयासरत होता है तो उसे अनुचित आसन के कारण मेरुदंड की नाड़ियों में होने वाली सिकुड़न व संकुचन से बचना चाहिए। वे लोग जिनके पैरों में दर्द नहीं होता उनके लिए सपाट पलंग पर या ज़मीन पर गद्दी लगाकर पालथी मारकर बैठना बेहतर है।

भावना योग के लिए समय पर भी ध्यान दिया जाना बेहद आवश्यक है। सही समय पर भावना योग करने से आपको अधिक लाभ होता है। भावना योग करने का सही समय सुबह या रात का माना जाता है। अगर आप सुबह भावना योग करती हैं तो उठकर ब्रश करने के बाद कर सकती हैं। वहीं, अगर आप रात में भावना योग कर रही हैं तो ऐसे में आपको डिनर करने के बाद कम से कम एक घंटे का गैप रखना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद ध्यान पर ना बैठें। भावना योग करने के बाद आप सो जाएं।

कुछ लोग भावना योग के दौरान जबरदस्ती अपने मन को शांत करने का प्रयास करते हैं या फिर वह यह कोशिश करते हैं कि उन्हें मस्तिष्क में किसी प्रकार के विचार ना आएं। हालांकि, ऐसा करने से तरह-तरह के विचार उनके मन में अधिक आते हैं। बेहतर होगा कि आप अपने मन-मस्तिष्क को स्वतंत्र छोड़ दें और केवल अपनी श्वास के आवागमन पर फोकस करें। धीरे-धीरे आपको विचार आने कम हो जाएंगे।

भावना योग को खत्म करने में जल्दबाजी बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। भावना योग ख़तम होते ही तुरंत आंखें खोलने की कोशिश न करें। अलार्म के बंद होते ही थोड़ा रुकें। अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ें। फिर इन्हें आंखों पर लगाएं। साथ ही, अब धीरे-धीरे अपनी आंखों को खोलें।

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